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Wednesday, November 30, 2011


Tuesday, November 29, 2011

चीन-पाक से निपटने की भारत की बड़ी तैयारी? 4 साल में खरीदे सबसे ज़्यादा हथियार

चीन-पाक से निपटने की भारत 

की बड़ी तैयारी? 4 साल में खरीदे

सबसे ज़्यादा हथियार

by Nisar Khan Modawasi on Monday, November 28, 2011 at 10:08pm
नई दिल्ली. पाकिस्तान से दशकों पुराने तनाव, चीन के आक्रामक रवैये और नक्सली समस्या को ध्यान में रखते हुए भारत अपनी सैन्य ताकत बढ़ा रहा है। चीन और उसके सहयोगी पाकिस्तान की तरफ से बढ़ती खतरे की आशंकाओं के मद्देनज़र भारत ने तेजी से अपनी ताकत बढ़ानी शुरू कर दी है। जानकारों का मानना है कि भारत अपने पड़ोसियों (खासकर चीन) के साथ हथियारों की होड़ में न सिर्फ चुनौती दे रहा है बल्कि कई रणनीतिक मामलों में वह उन पर भारी भी पड़ रहा है।

समुद्र के सामरिक महत्व और चीन के दक्षिण पूर्व एशिया के समुद्री इलाकों में बढ़ते असर को देखते हुए भारत ने समंदर में अपनी ताकत बढ़ाने का फैसला किया है। इसी साल अगस्त में चीन के जहाज ने भारत के जहाज को वियतनाम के पास दक्षिण चीन सागर में मौजूदगी की वजह पूछी थी। जानकारों के मुताबिक यह घटना दक्षिण एशिया में भारत और चीन जैसे देशों के बीच होड़ को समझने के लिए काफी है। दुनिया में असरदार देश बनने की ओर बढ़ रहे दक्षिण पूर्व एशिया के देश पहले क्षेत्रीय स्तर पर बड़ी ताकत बनना चाहते हैं।

भारत इस समय हथियार आयात करने के मामले में दुनिया का अव्वल देश है। हथियारों की खरीदफरोख्त पर नज़र रखने वाले संगठन सिपरी की 2011 की रिपोर्ट के मुताबिक 2006 और 2010 के बीच दुनिया में हुई हथियारों की खरीद का 9 फीसदी हिस्सा अकेले भारत के हिस्से में है। सिपरी के मुताबिक भारत ने अपने ज़्यादातर हथियार रूस से खरीदे हैं। 

वॉशिंगटन स्थित सेंटर फॉर स्ट्रेटेजिक एंड इंटरनेशनल स्टडीज के आकलन के मुताबिक भारत ने अपनी सेनाओं के आधुनिकीकरण पर 2015 तक 80 अरब डॉलर (करीब 40 खरब रुपये) खर्च करने की योजना बनाई है।  विशेषज्ञ मानते हैं कि भारत अपनी समुद्री ताकत को बढ़ाने पर खासा जोर दे रहा है। मैरीटाइम एनालिसिस फर्म एएमआई इंटरनेशनल के एक आकलन के मुताबिक अगले 20 सालों में भारत 103 नए जंगी जहाजों (इसमें परमाणु हथियारों से लैस पनडुब्बियां भी शामिल) पर 45 अरब डॉलर का खर्च करेगा। वहीं, इस दौरान चीन 135 जंगी जहाजों पर महज 25 अरब डॉलर (करीब 12 खरब रुपये) खर्च करेगा। 

जानकार यह भी मानते हैं कि भारत के लिए राहत की बात यह है कि अमेरिका भारत की बढ़ती सामरिक ताकत से ज़्यादा चिंतित नहीं है। अमेरिका के लिए ज़्यादा चिंता की बात चीन की सामरिक शक्ति है। इस तथ्य के बावजूद कि भारत सबसे ज़्यादा हथियार रूस से खरीदता है, अमेरिका के रक्षा मुख्यालय पेंटागन की 2010 डिफेंस रिव्यू में हिंद महासागर के अलावा अंतरराष्ट्रीय मामलों में भारत की बढ़ती भूमिका का स्वागत किया था।  



सिर्फ समंदर ही नहीं, आसमान और जमीन पर भी नज़र

भारत सिर्फ अपनी नौसेना को ही आधुनिक नहीं बना रहा है। बल्कि उसकी नज़र आसमान पर भी है। यही वजह है कि भारत ने अपनी वायुसेना को भी आधुनिक बनाने की महत्वाकांक्षी योजना पर अमल करना शुरू कर दिया है।


126 आधुनिक जंगी विमान
भारत करीब 126 आधुनिक जंगी विमान खरीदने की योजना बना रहा है। भारतीय वायुसेना ने इस खरीदारी के लिए दो विमानों को विचार के लिए चुना है। इनमें रफाल और टायफून विमान शामिल हैं। दोनों विमान अमेरिका के एफ-16 विमानों को टक्कर दे सकते हैं। अमेरिका ने एफ-16 विमान पाकिस्तान को भी दिए हैं। जानकारों का मानना है कि भारतीय वायुसेना इनमें से किसी का भी चुना करे, दोनों भारतीय सैन्य क्षमताओं को नई ऊंचाई देंगे और भारत दुनिया के उन देशों की कतार में खड़ा हो जाएगा जो आधुनिक जंगी विमानों से लैस हैं। द रफाल को फ्रांस की दसाल्ट एविएशन ने बनाया है। जबकि यूरो फाइटर टायफून को यूरोप के चार देशों (ब्रिटेन, इटली, जर्मनी और स्पेन) की एक संयुक्त कंपनी यूरो फाइट ने तैयार किया है।     

लाइट कॉम्बैट हेलीकॉप्टर
लाइट कॉम्बैट हेलीकॉप्टर (एलसीएच) दुनिया के आधुनिकतम लड़ाकू हेलीकॉप्टरों में से एक है। इसे हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (एचएएल) ने विकसित किया है। 2013 तक यह हेलीकॉप्टर भारतीय वायुसेना के जंगी बेडे़ में शामिल हो जाएगा। एलसीएच के पास दुश्मन का मुकाबला करने के लिए जबर्दस्त क्षमताएं हैं। इसमें स्टेल्थ विमानों के भी गुण हैं, जिसका मतलब है कि इसकी उड़ान को रडार के जरिए भांपा नहीं जा सकता है। इस हेलीकॉप्टर का वजन 5800 किलो है। यह हेलीकॉप्टर 268 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से हवा में उड़ सकता है। इसमें 20 मिमी की टरेट गन है, जो दुश्मन के ठिकाने को भेद सकता है। यह हेलीकॉप्टर दायें, बायें, नीचे और सबसे अहम पीछे की तरफ उड़ सकता है। जानकार मानते हैं कि इस हेलीकॉप्टर की खूबियां दुनिया में सबसे आधुनिक और उन्नत माने जा रहे अमेरिका के ब्लैक हॉक हेलीकॉप्टर को टक्कर दे सकती हैं। कुछ मायनों में जानकार इसे ब्लैक हॉक से भी बेहतर बता रहे हैं। गौरतलब है कि अमेरिका ने ब्लैक हॉक हेलीकॉप्टर का इस्तेमाल इसी साल मई में ओसामा बिन लादेन को मारने में किया था।


मिग 29 के
मिग 29 के लड़ाकू विमान नौसेना के पास होगा। एडमिरल गोर्शकोव को आधुनिक आईएनएस विक्रमादित्य के तौर विकसित किया जा रहा है। 2012 के अंत या 2013 की शुरुआत तक विक्रमादित्य के नौसेना में शामिल होने पर मिग 29 के को आईएनएस विक्रमादित्य पर तैनात कर दिया जाएगा।  मिग-29 के, पुराने मिग-29 से 30 फीसदी ज़्यादा भारी है। मिग-29 के एंटी एयरक्राफ्ट बीयॉन्ड विजुअल रेंज मिसाइल, स्मार्ट गाइडेड बम और रॉकेट से लैस है। इस लड़ाकू विमान के पंखों को फोल्ड किया जा सकता है। नेवी के आईएनएस विक्रमादित्य जहाज पर इसकी तैनाती के लिहाज से यह अहम खासियत साबित हो सकती है। मिग-29 के सिंगल सीट वाला लडा़कू विमान है। यह विमान फरवरी, 2010 में नौसेना के बेड़े में शामिल हो चुका है।
आधुनिक जंगी टैंक अर्जुन मार्क 2
अगली पीढ़ी का आधुनिक जंगी टैंक। भारत में डीआरडीओ ने इसे विकसित किया है। इसका ट्रायल चल रहा है। सेना उम्मीद जता रही है कि जून, 2012 तक यह टैंक उनके बेडे़ में शामिल होगा। इसे बनाने के लिए अर्जुन के पहले संस्करण में कई बदलाव किए गए हैं। पुराने अर्जुन टैंक में पहले नाइट विज़न नहीं था। डिजीटल कंट्रोल है। टैंक के कमांडर को बड़े 90 बदलाव किेए गए हैं। रूस के टी-90 को कड़ी टक्कर दे सकता है। अर्जुन मार्क 2 को रूस के टी-90 टैंक से बेहतर माना जा रहा है

Wednesday, October 19, 2011

धमकी के बाद चुनौती- मदद रोकना है तो रोक ले अमेरिका, आज पाकिस्‍तान पहुंच रहीं क्लिंटन

इस्‍लामाबाद. आतंकवाद के खिलाफ कार्रवाई के मसले पर पाकिस्‍तान ने अमेरिका को चेतावनी देने के बाद चुनौती भी दी है। उसका कहना है कि अमेरिका को मदद रोकनी है तो रोक ले। इससे पहले पाकिस्‍तानी सेना के प्रमुख ने कहा था कि अमेरिका पाकिस्‍तान को नसीहत देने के बजाय अफगानिस्‍तान में अपना ध्‍यान केंद्रित करे। सेना प्रमुख जनरल अशफाक परवेज कयानी ने रक्षा मामलों की संसदीय समिति के सामने ये बातें रखी हैं।  

समिति के एक सदस्‍य ने कयानी के हवाले से कहा, ‘अमेरिका को अफगानिस्‍तान में स्थिरता की बहाली पर ध्‍यान देना चाहिए। उसे पाकिस्‍तान पर इस बात के लिए दबाव नहीं डालना चाहिए कि वो सीमावर्ती इलाकों में आतंकवादी गुटों पर हमला करे।’  पाकिस्‍तान की ओर से अमेरिका को भड़काने वाले बयान तब आ रहे हैं जब अमेरिकी विदेश मंत्री हिलेरी क्लिंटन पाकिस्‍तान पहुंच रही हैं। गुरुवार को पाकिस्‍तान पहुंच रहीं क्लिंटन उस पर हक्‍कानी नेटवर्क  के खिलाफ कार्रवाई का दबाव बनाएंगी।

लेकिन पाकिस्‍तानी सेना पहले ही भड़काऊ बयान देकर अमेरिका पर दबाव बनाना चाह रही है। खास बात यह है कि इस बारे में राजनीतिक नेतृत्‍व चुप है। अपना नाम उजागर नहीं किए जाने की शर्त पर यह जानकारी देने वाले एक सांसद के मुताबिक जनरल कयानी ने यह भी कहा है कि पाकिस्‍तान इस बात का खुद फैसला करेगा कि उत्‍तरी वजीरिस्‍तान में आतंकवादियों के खिलाफ कार्रवाई करनी है या नहीं। यदि कार्रवाई करनी भी है तो इसके लिए सही समय का चुनाव भी पाकिस्‍तानी सेना ही करेगी। गौरतलब है कि उत्‍तरी वजीरिस्‍तान ही हक्‍कानी गुट के आतंकियों का गढ़ है।  

सेना प्रमुख ने अमेरिका को साफ लहजे में चेतावनी दी है कि इन इलाकों में एकतरफा कार्रवाई करने से पहले उसे 10 बार सोचना होगा। उन्‍होंने कहा कि पाकिस्‍तान एक परमाणु शक्ति है, उसकी तुलना इराक या अफगानिस्‍तान से नहीं करे।

कयानी ने यहां तक कह दिया कि पाकिस्‍तान को अमेरिकी सैन्‍य मदद की जरूरत नहीं है। जब उनसे यह सवाल किया गया कि क्‍या अमेरिका अफगानिस्‍तान में नाकाम होने पर पाकिस्‍तान पर उसी तरह हमला कर सकता है, जैसा वियतनाम युद्ध के दौरान लाओस और कंबोडिया पर किया था, कयानी ने कहा, ‘पाकिस्‍तान एक परमाणु संपन्‍न देश है और इसकी तुलना अफगानिस्‍तान या इराक से नहीं की जा सकती है।’ 

पाकिस्‍तानी सेना प्रमुख के ताजा बयान से अमेरिका और पाकिस्‍तान के रिश्‍तों में और कड़वाहट आने की आशंका है। अमेरिकी सेना के शीर्ष अधिकारी एडमिरल माइक मुलेन ने रिटायर होने से पहले हाल में कहा था कि काबुल स्थित अमेरिकी दूतावास पर हुए आतंकी हमलों के लिए जिम्‍मेदार हक्‍कानी गुट की पाकिस्‍तानी खुफिया एजेंसी आईएसआई से साठगांठ है। बीते मई में अमेरिकी कमांडो द्वारा पाकिस्‍तान में घुसकर ओसामा बिन लादेन को मारे जाने और अमेरिकी सैन्‍य अधिकारी के इस बयान के बाद दोनों देशों के रिश्‍ते कड़वे होते जा रहे हैं।

कयानी ने इन आरोपों को भी खारिज किया कि उनका देश अफगानिस्‍तान में ‘छद्म युद्ध’ के लिए हक्‍कानी गुट को मदद कर रहा है। उन्‍होंने दावा कि पाकिस्‍तान समस्‍या नहीं है बल्कि इसके समाधान का एक हिस्‍सा है। जनरल ने कहा कि पाकिस्‍तन ने अफगानिस्‍तान के हालात पर काबू पाने की कोशिश की थी लेकिन इतिहास गवाह है कि ऐसा करने में कोई भी कामयाब नहीं हो सका है। उन्‍होंने कहा, ‘जब ब्रिटेन और सोवियत रूस ऐसा करने में नाकाम रहे तो पाकिस्‍तान से ऐसी उम्‍मीद कैसे की जा सकती है? जब दूसरे नाकाम हो जाते हैं तो उसमें कामयाब होने के लिए हमारे पास कोई जादुई छड़ी नहीं है।’

अमेरिकी विदेश मंत्री हिलेरी क्लिंटन के अघोषित पाकिस्‍तान दौरे को लेकर सियासी हलकों में गहमागहमी है। हालांकि अमेरिकी विदेश मंत्रालय ने हिलेरी की यात्रा के बारे में किसी तरह की टिप्‍पणी करने से इनकार किया है लेकिन सूत्रों के हवाले से मिल रही खबर के मुताबिक इस वक्‍त लीबिया के अघोषित दौरे पर हैं। उम्‍मीद है कि वह यात्रा के अगले पड़ाव में अफगानिस्‍तान और पाकिस्‍तान का दौरा कर सकती है। पाकिस्‍तान के एक स्‍थानीय अखबार के मुताबिक क्लिंटन गुरुवार को ही इस्‍लामाबाद पहुंच सकती हैं।

पाकिस्तान के कबाइली इलाकों में मानवरहित विमानों की मदद से कहर बरपा रही अमेरिकी सेना को जल्द ही ‘कमीकेज’ ड्रोन के रूप में नया हथियार मिलने वाला है। ये नए ड्रोन इतने छोटे हैं कि इन्हें सैनिकों के पीठ पर टांगने वाले बैग में रखा जा सकता है और वे लक्ष्य पर हमला बोलने से पहले आसमान में बिना आवाज के उड़ान भर सकते हैं

अमेरिका के हाथ में है पाक का रिमोट कंट्रोल, इन जनाब ने खोली पोल


 
न्यूज डेस्क. आतंकवाद के खिलाफ कार्रवाई के मसले पर पाकिस्‍तान ने अमेरिका एक बार फिर चेतावनी दी है। पाकिस्‍तानी सेना के प्रमुख ने कहा है कि अमेरिका पाकिस्‍तान को नसीहत देने के बजाय अफगानिस्‍तान में अपना ध्‍यान केंद्रित करे। सेना प्रमुख जनरल अशफाक परवेज कयानी ने रक्षा मामलों की संसदीय समिति के सामने ये बातें रखी हैं।



पाकिस्तान इस समय जरूर अमेरिका से ऊंची आवाज में बात कर रहा है, लेकिन हकीकत में पाकिस्तान का रिमोट कंट्रोल अमेरिका के हाथ में है। पाक पत्रकार जावेद चौधरी ने अपनी स्पेशल रिपोर्ट 'कल तक' में इस बात का खुलासा किया है। अपने बेबाक रवैये के लिए मशहूर कॉलमनिस्ट जावेद अकसर पाकिस्तान की असलियत उजागर करने वाली बातें कहते रहते हैं।



इस रिपोर्ट में जावेद ने बताया है कि किस तरह अब पाकिस्तान पूरी तरह से अमेरिका की गिरफ्त में आ चुका है। पाकिस्तान की हर नीति और फैसला अमेरिका द्वारा निर्धारित होते हैं।

भारत, चीन और पाकिस्‍तान में से किसके पास कितनी ताकत, जानें

चीन के पास करीब 1800 लड़ाकू विमान हैं। इनमें जे-11, जे-10, सुखोई-30 और जेएच-7 जैसे फाइटर प्लेन
 

शामिल हैं। जबकि भारत के पास करीब 1000 लड़ाकू विमान हैं। जिनमें सुखोई, मिराज, मिग-29, मिग-27, मिग-21 और जगुआर शामिल हैं। वहीं पाकिस्तान के पास करीब 500 लड़ाकू विमान हैं। जिनमें चीनी एफ-7, अमेरिकी F-16 और मिराज शामिल हैं।
नई दिल्‍ली. थल सेना की बात करें तो चीन के पास सबसे ज़्यादा 23 लाख लड़ाकू सैनिक हैं। भारत के पास 13 लाख सैनिक हैं, जबकि पाकिस्तान के पास 10 लाख थल सैनिक हैं।






मिसाइलों की बात करें तो चीन के पास 13 हज़ार किलोमीटर रेंज वाली डांग फेंग-5 और इसी सीरीज की दूसरी मिसाइलें हैं। भारतीय सेना के बेड़े में सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल ब्रह्मोस, अग्नि, पृथ्वी, आकाश और नाग जैसे मिसाइल हैं। पाकिस्तान की बात करें तो उसके पास गौरी, शाहीन, गजनवी, हत्फ और बाबर जैसे मिसाइल हैं।


जानकारों का कहना है कि ब्रह्मोस की तकनीक सबसे आधुनिक है और इस 5 मिनट में दागने के लिए तैयार किया जा सकता है। ब्रह्मोस ने भारत की ताकत बढ़ाई है लेकिन अभी भी चीन से काफी पीछे हैं।युद्धपोत के मामले में भी चीन भारत से आगे है। चीन के पास 75 युद्धपोत हैं तो भारत के पास 27 युद्धपोत हैं। जबकि पाकिस्तानी के पास 11 युद्धपोत हैं। परमाणु हथियारों के मामले में भी चीन हमसे काफी आगे है। चीन के पास 150 से 200 परमाणु हथियार हैं। भारत के पास 50 से 90 परमाणु हथियार हैं। पाक सेना के पास 50 से ज्यादा परमाणु हथियार हैं।