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Wednesday, October 19, 2011

धमकी के बाद चुनौती- मदद रोकना है तो रोक ले अमेरिका, आज पाकिस्‍तान पहुंच रहीं क्लिंटन

इस्‍लामाबाद. आतंकवाद के खिलाफ कार्रवाई के मसले पर पाकिस्‍तान ने अमेरिका को चेतावनी देने के बाद चुनौती भी दी है। उसका कहना है कि अमेरिका को मदद रोकनी है तो रोक ले। इससे पहले पाकिस्‍तानी सेना के प्रमुख ने कहा था कि अमेरिका पाकिस्‍तान को नसीहत देने के बजाय अफगानिस्‍तान में अपना ध्‍यान केंद्रित करे। सेना प्रमुख जनरल अशफाक परवेज कयानी ने रक्षा मामलों की संसदीय समिति के सामने ये बातें रखी हैं।  

समिति के एक सदस्‍य ने कयानी के हवाले से कहा, ‘अमेरिका को अफगानिस्‍तान में स्थिरता की बहाली पर ध्‍यान देना चाहिए। उसे पाकिस्‍तान पर इस बात के लिए दबाव नहीं डालना चाहिए कि वो सीमावर्ती इलाकों में आतंकवादी गुटों पर हमला करे।’  पाकिस्‍तान की ओर से अमेरिका को भड़काने वाले बयान तब आ रहे हैं जब अमेरिकी विदेश मंत्री हिलेरी क्लिंटन पाकिस्‍तान पहुंच रही हैं। गुरुवार को पाकिस्‍तान पहुंच रहीं क्लिंटन उस पर हक्‍कानी नेटवर्क  के खिलाफ कार्रवाई का दबाव बनाएंगी।

लेकिन पाकिस्‍तानी सेना पहले ही भड़काऊ बयान देकर अमेरिका पर दबाव बनाना चाह रही है। खास बात यह है कि इस बारे में राजनीतिक नेतृत्‍व चुप है। अपना नाम उजागर नहीं किए जाने की शर्त पर यह जानकारी देने वाले एक सांसद के मुताबिक जनरल कयानी ने यह भी कहा है कि पाकिस्‍तान इस बात का खुद फैसला करेगा कि उत्‍तरी वजीरिस्‍तान में आतंकवादियों के खिलाफ कार्रवाई करनी है या नहीं। यदि कार्रवाई करनी भी है तो इसके लिए सही समय का चुनाव भी पाकिस्‍तानी सेना ही करेगी। गौरतलब है कि उत्‍तरी वजीरिस्‍तान ही हक्‍कानी गुट के आतंकियों का गढ़ है।  

सेना प्रमुख ने अमेरिका को साफ लहजे में चेतावनी दी है कि इन इलाकों में एकतरफा कार्रवाई करने से पहले उसे 10 बार सोचना होगा। उन्‍होंने कहा कि पाकिस्‍तान एक परमाणु शक्ति है, उसकी तुलना इराक या अफगानिस्‍तान से नहीं करे।

कयानी ने यहां तक कह दिया कि पाकिस्‍तान को अमेरिकी सैन्‍य मदद की जरूरत नहीं है। जब उनसे यह सवाल किया गया कि क्‍या अमेरिका अफगानिस्‍तान में नाकाम होने पर पाकिस्‍तान पर उसी तरह हमला कर सकता है, जैसा वियतनाम युद्ध के दौरान लाओस और कंबोडिया पर किया था, कयानी ने कहा, ‘पाकिस्‍तान एक परमाणु संपन्‍न देश है और इसकी तुलना अफगानिस्‍तान या इराक से नहीं की जा सकती है।’ 

पाकिस्‍तानी सेना प्रमुख के ताजा बयान से अमेरिका और पाकिस्‍तान के रिश्‍तों में और कड़वाहट आने की आशंका है। अमेरिकी सेना के शीर्ष अधिकारी एडमिरल माइक मुलेन ने रिटायर होने से पहले हाल में कहा था कि काबुल स्थित अमेरिकी दूतावास पर हुए आतंकी हमलों के लिए जिम्‍मेदार हक्‍कानी गुट की पाकिस्‍तानी खुफिया एजेंसी आईएसआई से साठगांठ है। बीते मई में अमेरिकी कमांडो द्वारा पाकिस्‍तान में घुसकर ओसामा बिन लादेन को मारे जाने और अमेरिकी सैन्‍य अधिकारी के इस बयान के बाद दोनों देशों के रिश्‍ते कड़वे होते जा रहे हैं।

कयानी ने इन आरोपों को भी खारिज किया कि उनका देश अफगानिस्‍तान में ‘छद्म युद्ध’ के लिए हक्‍कानी गुट को मदद कर रहा है। उन्‍होंने दावा कि पाकिस्‍तान समस्‍या नहीं है बल्कि इसके समाधान का एक हिस्‍सा है। जनरल ने कहा कि पाकिस्‍तन ने अफगानिस्‍तान के हालात पर काबू पाने की कोशिश की थी लेकिन इतिहास गवाह है कि ऐसा करने में कोई भी कामयाब नहीं हो सका है। उन्‍होंने कहा, ‘जब ब्रिटेन और सोवियत रूस ऐसा करने में नाकाम रहे तो पाकिस्‍तान से ऐसी उम्‍मीद कैसे की जा सकती है? जब दूसरे नाकाम हो जाते हैं तो उसमें कामयाब होने के लिए हमारे पास कोई जादुई छड़ी नहीं है।’

अमेरिकी विदेश मंत्री हिलेरी क्लिंटन के अघोषित पाकिस्‍तान दौरे को लेकर सियासी हलकों में गहमागहमी है। हालांकि अमेरिकी विदेश मंत्रालय ने हिलेरी की यात्रा के बारे में किसी तरह की टिप्‍पणी करने से इनकार किया है लेकिन सूत्रों के हवाले से मिल रही खबर के मुताबिक इस वक्‍त लीबिया के अघोषित दौरे पर हैं। उम्‍मीद है कि वह यात्रा के अगले पड़ाव में अफगानिस्‍तान और पाकिस्‍तान का दौरा कर सकती है। पाकिस्‍तान के एक स्‍थानीय अखबार के मुताबिक क्लिंटन गुरुवार को ही इस्‍लामाबाद पहुंच सकती हैं।

पाकिस्तान के कबाइली इलाकों में मानवरहित विमानों की मदद से कहर बरपा रही अमेरिकी सेना को जल्द ही ‘कमीकेज’ ड्रोन के रूप में नया हथियार मिलने वाला है। ये नए ड्रोन इतने छोटे हैं कि इन्हें सैनिकों के पीठ पर टांगने वाले बैग में रखा जा सकता है और वे लक्ष्य पर हमला बोलने से पहले आसमान में बिना आवाज के उड़ान भर सकते हैं

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